I want to share with you all a [Hindi] poem composed by Mr. Kamal Kishore Bhardwaj in praise of our home town, Hoshiarpur. He composed these beautiful verses in 2009 between March 2 and March 15.
जन्मभूमी की याद में
आंगन में हिमगिरि के, शिखरों की वर्णमाला |
देता रवि गगन से, इक दुग्ध सा उजाला ||
झोली में केसर, गेंदा, के पुश्प लहलहाते |
प्रांगण में मृग, मयूरों के झुंड, चहचहाते ||
अठखेलियां पवन की, निर्जन सी घाटीयों में,
मस्ती में घूमते थे, निस्तव्ध बादियों में ||
ममता में तेरे पल कर, आंचल में खिलखिलाकर |
आता है याद तेरे, आंगन में बीता बचपन ||
हर सुबह को तुम्हारे, चरणों की धूल लेकर |
प्रांजली हिये से करना, मस्तक झुका झुकाकर ||
चिड़ियों का चहचहाना , कोयल का गीत गाना |
संध्या समय से वापस, बरगद पर लौट आना ||
नदिया के तट पर जा कर, बालू के घर बनाना |
उन बन चुके घरों को, मिट्टी में फिर मिलाना ||
बावली के शीतल जल में, मछली का झुनझुनाना |
धीमे से बहते जल को, पैरों से थपथपाना ||
सूरज की उष्मा में, सुगबुगाहट |
तितली का पीछा करना, जुगनू पकड़ने जाकर ||
वह टिमटिमाता प्राणी, सन्धया में लौ जगाता |
अन्धकार को मिटा कर, सन्देश दे कर जाता ||
जो स्वयं को जला कर, सब को उजाला देता |
वो ही जिया है जीवन, जीवन सफल उसी का ||
दीयों की भीनी लौ में, तारों का गिनती करना |
आंचल में तेरे सोना, सपनों में मुस्कुराना ||
ओ जन्मभूमि क्योंकर, मुझे याद आ रही हो ?
जीवन की सांझ में अब, क्योंकर रुला रही हो ?
वो कनेर के जो पीली, कलियों के खिलते दिन थे |
वह तपिश भरी दुपहरी, वह जो सांझ की हवाएं ||
वह जो पर्वतों से उठती पर्जन्य की घटाएं |
आषाढ़ के देिनों में, पॉखी का तिलमिलाना ||
जल के लिए बौराए, पंछीयों का छटपटाना |
श्रावण के भीगे दिन में, तेरा रूप खिलते देखा ||
फिर पौष के महीने, तुझ को ठिठुरते देखा |
वह जो धूप खिलती दर पे, वह जो दूव का विछौना ||
अलमस्त हो के, तेरे सीने से लग के सोना |
बहती हिये से तेरे, ममता की धवल धारा ||
वैकुन्ठ से भी सुन्दर, तेरे रूप का नज़ारा |
वो शिखर हिमगिरी के, करते तुम्हे सलामी ||
वंदना तुम्ही को करते, हे धरा, प्रजनिका, धरनी |
यह तन बदन तुम्हारा, मेरे प्राण हों निछावर ||
मैं बार बार जन्मूं, आंगन में तेरे मर कर |
ओ जन्मभूमि क्योंकर… ?— कमल किशोर भारद्वाज
Hi Abhinav Sood,
Its Lovely to See a post in Hindi. I see first blog in Hindi.I feel very haapy.
Love to see more post like this from you.
Thanks for posting
Hello Abhinav Sood,
It was amazing reading your post in Hindi. Thank you so much for sharing.